विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए ये दावा किया कि जिस जमीन पर विपक्षी नेताओं का कहना है कि चीन ने उस पर कब्जा कर लिया है, उस पर वास्तव में 1962 में कब्जा किया गया था. जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री रहते युद्ध के समय उक्त जमीन को कब्जाया गया था. उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा, जिन्होंने हाल ही में लद्दाख में कथित जमीन खोने परआधिकारिक एक रिपोर्ट के बारे में बात की थी.
उन्होंने कहा, "कभी-कभी वे ये जानते हुए भी खबरें फैलाते हैं कि वो गलत है. वे इसे ऐसे पेश करते हैं जैसे कि ये अभी हुआ है, जब ये वास्तव में 1962 में हुआ था. लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करेंगे." जयशंकर के इस बयान को विपक्ष के तमाम नेताओं को जवाब के तौर पर देखा जा रहा है, जिन्होंने इस मुद्दे पर टिप्पणी की थी.
गौरतलब है कि राहुल गांधी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने लद्दाख में जमीन खोने से संबंधित वहां के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट पर टिप्पणी की थी, जिसमें कहा गया था कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट पर पहुंच खो दी है. रिपोर्ट दिल्ली में देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों के एक सम्मेलन में दायर की गई थी, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भाग लिया था.
हालांकि, जयशंकर ने पुणे में शनिवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए इन दावों पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि अगर मुझे (चीन पर) कुछ जानने की जरूरत है, तो मैं इनपुट लेने के लिए चीनी राजदूत के पास नहीं जाऊंगा, बल्कि अपने सैन्य नेतृत्व के पास जाऊंगा. वो भी ऐसी स्थिति में जब दोनों देश गतिरोध में थे."
साल 2017 में ऐसा करने पर राहुल गांधी ने उस समय स्पष्ट किया था, "महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करना मेरा काम है. मैं चीनी राजदूत, भारत के पूर्व-एनएसए, पूर्वोत्तर के कांग्रेस नेताओं और भूटानी राजदूत से मिला."
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